स्वामी विवेकानंद जी, ने सबसे पहले मनुष्य के अच्छे स्वास्थ पर जोर दिया है, उनका मनना ये था की अगर आपका स्वस्थ ठीक है तो आपका मन बुध्दि और आत्मा भी स्वस्थ रहेगा, इस बारे एक बहुत बढ़िया बात है जो में आपको बताता हूँ।
वक बार एक बालक स्वामी जी के पास गया और बोला मुझे वेदों का ज्ञान जानना है बताओ मैं करू, स्वामी जी ने कहा बहुत बढ़िया बात है, पर इसके लिए सबसे पहले रोज १ घण्टे खेल में मैदान में कोई खेल खेलाकरो और जब खेल तुम्हारी रोज की जरुरत बन जाए तब मेरे पास आना में तुमको वेदों के बारे में कुछ जानकारी दूंगा जितनी मेरे पास है।
बालक ने १५ दिन तक वैसा ही किया और फिर स्वामी जी के पास आया, स्वामी जी ने पूछा कैसे हो उसने बताया ठीक हूँ, जैसा आपने बोला था वैसा ही किया, तो स्वामी जी उससे बाते करने लगे, अचानक बालक बोला अच्छा में चलता हूँ मेरा खेलने का समय हो गया, फिर आऊँगा।
स्वामी जी ने बोला कल सुबह आ जाना कल से बात करते है वेदों पर, बालक चला गया और नियत समय पर आ गया, ६ महीने का अध्ययन के बाद उसको वेदों और उपनिषदों का ज्ञान प्राप्त हुआ, एक दिन उनस्ने स्वामी जी से पूछ ही लिया अपने आप आपने कैसे जान लिया की अब में पात्र हो गया हूँ।
स्वामी जी बोला जो व्यक्ति अपने खेल के प्रति निष्ठावान है लगन सील है, वही बाकी ज्ञान के लिए भी उपयुक्त होगा, क्योंकि संसार की प्रत्येक वस्तु आपकी लगन पर ही निर्भर है,जितनी आपकी लगन और निष्ठा है उतनी ही जल्दी आप लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे।
वक बार एक बालक स्वामी जी के पास गया और बोला मुझे वेदों का ज्ञान जानना है बताओ मैं करू, स्वामी जी ने कहा बहुत बढ़िया बात है, पर इसके लिए सबसे पहले रोज १ घण्टे खेल में मैदान में कोई खेल खेलाकरो और जब खेल तुम्हारी रोज की जरुरत बन जाए तब मेरे पास आना में तुमको वेदों के बारे में कुछ जानकारी दूंगा जितनी मेरे पास है।
बालक ने १५ दिन तक वैसा ही किया और फिर स्वामी जी के पास आया, स्वामी जी ने पूछा कैसे हो उसने बताया ठीक हूँ, जैसा आपने बोला था वैसा ही किया, तो स्वामी जी उससे बाते करने लगे, अचानक बालक बोला अच्छा में चलता हूँ मेरा खेलने का समय हो गया, फिर आऊँगा।
स्वामी जी ने बोला कल सुबह आ जाना कल से बात करते है वेदों पर, बालक चला गया और नियत समय पर आ गया, ६ महीने का अध्ययन के बाद उसको वेदों और उपनिषदों का ज्ञान प्राप्त हुआ, एक दिन उनस्ने स्वामी जी से पूछ ही लिया अपने आप आपने कैसे जान लिया की अब में पात्र हो गया हूँ।
स्वामी जी बोला जो व्यक्ति अपने खेल के प्रति निष्ठावान है लगन सील है, वही बाकी ज्ञान के लिए भी उपयुक्त होगा, क्योंकि संसार की प्रत्येक वस्तु आपकी लगन पर ही निर्भर है,जितनी आपकी लगन और निष्ठा है उतनी ही जल्दी आप लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे।
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