Swami Vivekanand Thoughts in Hindi
Saturday, 5 January 2019
Friday, 23 November 2018
Why Kaal Sarp Dosh Puja in Ujjain ?
उज्जैन नगरी अपनी विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण सभी तीर्थो में श्रेष्ठ है, यहाँ पर भगवान शिव का महाकाल स्वरुप विराजमान है, महाकाल मंदिर के समीप पावन नदी छिप्रा का बहना अपने आप में एक अद्भुद दृश्य निर्मित करता है।
वास्तव में सत्य ये है जो भी भगवान महाकाल की शरण सच्चे मन से ग्रहण कर लेता है वह संसार में कही भी रहे निर्भय और प्रसन्न रहता है, किन्तु कुछ मनुष्यो को यह ज्ञान नहीं होता की भगवान शिव की महिमा अनंत है और इस अनंत महिमा का अनुभव करने के लिए समय समय पर इस ज्योतिर्लिंग का दर्शन करना चाहिए जिससे आत्मबल को मजबूती मिलती रहे।
अब प्रश्न ये उठ सकता है की काल सर्प दोष क्या है
वास्तव में मनुस्य की मुंडली में कुछ प्रमुख ग्रहो की स्थिति ऐसी होती है जिनको क्रम से मिलाने पर एक सर्प के समान आकृति बन जाती है और ऐसे लोगो को जीवन में अकारण ही परेशानिआ दिखती रहती है, संसार के समस्त सर्पो के अधिपति भगवान शिव स्वयं है और जो उनकी शरण में आ जाता है उसका अहित करने का शक्ति किसी में नहीं है।
वास्तव में सत्य ये है जो भी भगवान महाकाल की शरण सच्चे मन से ग्रहण कर लेता है वह संसार में कही भी रहे निर्भय और प्रसन्न रहता है, किन्तु कुछ मनुष्यो को यह ज्ञान नहीं होता की भगवान शिव की महिमा अनंत है और इस अनंत महिमा का अनुभव करने के लिए समय समय पर इस ज्योतिर्लिंग का दर्शन करना चाहिए जिससे आत्मबल को मजबूती मिलती रहे।
अब प्रश्न ये उठ सकता है की काल सर्प दोष क्या है
वास्तव में मनुस्य की मुंडली में कुछ प्रमुख ग्रहो की स्थिति ऐसी होती है जिनको क्रम से मिलाने पर एक सर्प के समान आकृति बन जाती है और ऐसे लोगो को जीवन में अकारण ही परेशानिआ दिखती रहती है, संसार के समस्त सर्पो के अधिपति भगवान शिव स्वयं है और जो उनकी शरण में आ जाता है उसका अहित करने का शक्ति किसी में नहीं है।
उज्जैन में कालसर्प दोष की पूजा किससे करवानी चाहिए
वैसे तो उज्जैन नगरी विद्वान ब्राह्मणो का ही निवास स्थान है फिर भी पूजन हमेशा अनुभवी, सदाचारी, निर्मल मन और संस्कार वान ब्राह्मण से ही करवाना चाहिए, पंडित रमाकांत जी लगभग १५ वर्षो से महाकाल भगवान की शरण में रहकर उनके भक्तो का सही मार्गदर्शन कर रहे है, और दक्षिण के नाम पर जो मन भावे के सिद्धांत पर चलते है। पंडित जी कालसर्प दोष मुक्ति पूजा के अलाबा मंगल भात पूजा, जो की मंगलनाथ मंदिर में होती है, पितृ दोष मुक्ति, वास्तु दोष निवारण पूजा, ग्रह शांति पूजा, रुद्राभिषेक पूजा पाठ , महा मृतुन्जय जप एवं अन्य पूजन वैदिक रीती से करते है जिससे करने वाले को आत्मिक शांति और करवाने वाले को समस्त भौतिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त हो, पंडित जी का संपर्क सूत्र उनका मोबाइल है जिसका नंबर 9977525580 है
हमारे द्वारा दी जाने वाली सेवाएं : Kaal sarp Puja Ujjain Kaal Sarp Dosh Puja in Ujjain, Kaal Sarp Dosh Puja Ujjain, Kaal Sarp Puja in Ujjain
हमारे द्वारा दी जाने वाली सेवाएं : Kaal sarp Puja Ujjain Kaal Sarp Dosh Puja in Ujjain, Kaal Sarp Dosh Puja Ujjain, Kaal Sarp Puja in Ujjain
Saturday, 25 August 2018
Famous Pandit in Ujjain
श्री रमाकांत जी का परिचय
शिक्षा: एमए दर्शनशास्त्र
पंडित श्री रमाकांत जी धार्मिक अनुष्ठानों में रूचि अपने बालयकाल से ही थी, पंडित जो को समस्त प्रकार के अनुष्ठानो का प्रयोगत्मक ज्ञान एवं सम्पूर्ण विधि विधान की जानकारी पंडित जी के पिता जी से प्राप्त हुयी है, पंडित जी वैदिक अनुष्ठानों में आचार्य की उपाधि से विभूषित है एवं सभी प्रकार के दोष एवं वधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए १५ वर्षो से भी ज्यादा हो गया है। (Famous Pandit in Ujjain)
वर्तमान में पंडित जी पूरी उज्जैन नगरी में कालसर्प पूजा के सर्वश्रेष्ठ विद्वानोँ की श्रेणी में अग्रणी है, कालसर्प पूजा के अलाबा पंडित जी ने नवग्रह शांति, मंगलभात पूजा, मंगलशांति पूजा, रुद्राभिषेक, ग्रहण दोष निवारण, चांडाल दोष निवारण, पितृ दोष निवारण, जैसे अनुष्ठानों को सम्पूर्ण वैदिक पड़ती द्वारा संपन्न किया है, इसके अतिरिक्त महामृत्युंजय जाप, दुर्गा सप्तसती पाठ भी आवश्यकता के अनुसार करते है, पंडित जी कुम्भ विवाह, अर्क विवाह, जन्म कुंडली अध्ययन अवं पत्रिका मिलान में भी सिद्धस्त है, इन समस्त कार्यो के साथ साथ पंडित जी वास्तु पूजन, वास्तु दोष निवारण एवं व्यापर व्यवसाय वाधा निवारण का पूजन भी सम्पूर्ण विधि विधान से करते है।
पूजा और अनुष्ठान जिनमे पंडित जी की विशेषज्ञता हैं:
दोष निवारणार्थ अनुष्ठान
मंगल दोष निवारण (भातपूजन), सम्पूर्ण कालसर्प दोष निवारण, नवग्रह शांति, पितृदोष शांति पूजन, वास्तु दोष शांति, द्विविवाह योग शांति, नक्षत्र/योग शांति, रोग निवारण शांति, समस्त विध्न शांति, विवाह संबंधी विघ्न शांति, नवग्रह शांति
कामना पूर्ति अनुष्ठान
भूमि प्राप्ति, धन प्राप्ति, शत्रु विजय प्राप्ति, एश्वर्य प्राप्ति, शुभ (मनचाहा) वर/वधु प्राप्ति, शीघ्र विवाह, सर्व मनोकामना पूर्ति, व्यापार वृध्दि, रक्षा कवच, अन्य सिद्ध अनुष्ठान एवं पूजन
पाठ, जाप एवं अन्य अनुष्ठान
दुर्गासप्तशती पाठ, श्री यन्त्र अनुष्ठान, नागवली/नारायण वली, कुम्भ/अर्क विवाह, गृह वास्तु पूजन, गृह प्रवेश पूजन, देव प्राण प्रतिष्ठा, रूद्रपाठ/रूद्राभिषेक, विवाह संस्कार
शिक्षा: एमए दर्शनशास्त्र
पंडित श्री रमाकांत जी धार्मिक अनुष्ठानों में रूचि अपने बालयकाल से ही थी, पंडित जो को समस्त प्रकार के अनुष्ठानो का प्रयोगत्मक ज्ञान एवं सम्पूर्ण विधि विधान की जानकारी पंडित जी के पिता जी से प्राप्त हुयी है, पंडित जी वैदिक अनुष्ठानों में आचार्य की उपाधि से विभूषित है एवं सभी प्रकार के दोष एवं वधाओ के निवारण के कार्यो को करते हुए १५ वर्षो से भी ज्यादा हो गया है। (Famous Pandit in Ujjain)
वर्तमान में पंडित जी पूरी उज्जैन नगरी में कालसर्प पूजा के सर्वश्रेष्ठ विद्वानोँ की श्रेणी में अग्रणी है, कालसर्प पूजा के अलाबा पंडित जी ने नवग्रह शांति, मंगलभात पूजा, मंगलशांति पूजा, रुद्राभिषेक, ग्रहण दोष निवारण, चांडाल दोष निवारण, पितृ दोष निवारण, जैसे अनुष्ठानों को सम्पूर्ण वैदिक पड़ती द्वारा संपन्न किया है, इसके अतिरिक्त महामृत्युंजय जाप, दुर्गा सप्तसती पाठ भी आवश्यकता के अनुसार करते है, पंडित जी कुम्भ विवाह, अर्क विवाह, जन्म कुंडली अध्ययन अवं पत्रिका मिलान में भी सिद्धस्त है, इन समस्त कार्यो के साथ साथ पंडित जी वास्तु पूजन, वास्तु दोष निवारण एवं व्यापर व्यवसाय वाधा निवारण का पूजन भी सम्पूर्ण विधि विधान से करते है।
पूजा और अनुष्ठान जिनमे पंडित जी की विशेषज्ञता हैं:
दोष निवारणार्थ अनुष्ठान
मंगल दोष निवारण (भातपूजन), सम्पूर्ण कालसर्प दोष निवारण, नवग्रह शांति, पितृदोष शांति पूजन, वास्तु दोष शांति, द्विविवाह योग शांति, नक्षत्र/योग शांति, रोग निवारण शांति, समस्त विध्न शांति, विवाह संबंधी विघ्न शांति, नवग्रह शांति
कामना पूर्ति अनुष्ठान
भूमि प्राप्ति, धन प्राप्ति, शत्रु विजय प्राप्ति, एश्वर्य प्राप्ति, शुभ (मनचाहा) वर/वधु प्राप्ति, शीघ्र विवाह, सर्व मनोकामना पूर्ति, व्यापार वृध्दि, रक्षा कवच, अन्य सिद्ध अनुष्ठान एवं पूजन
पाठ, जाप एवं अन्य अनुष्ठान
दुर्गासप्तशती पाठ, श्री यन्त्र अनुष्ठान, नागवली/नारायण वली, कुम्भ/अर्क विवाह, गृह वास्तु पूजन, गृह प्रवेश पूजन, देव प्राण प्रतिष्ठा, रूद्रपाठ/रूद्राभिषेक, विवाह संस्कार
Monday, 13 March 2017
Swami Vivekanand Thoughts in Hindi Part 1
स्वामी विवेकानंद जी, ने सबसे पहले मनुष्य के अच्छे स्वास्थ पर जोर दिया है, उनका मनना ये था की अगर आपका स्वस्थ ठीक है तो आपका मन बुध्दि और आत्मा भी स्वस्थ रहेगा, इस बारे एक बहुत बढ़िया बात है जो में आपको बताता हूँ।
वक बार एक बालक स्वामी जी के पास गया और बोला मुझे वेदों का ज्ञान जानना है बताओ मैं करू, स्वामी जी ने कहा बहुत बढ़िया बात है, पर इसके लिए सबसे पहले रोज १ घण्टे खेल में मैदान में कोई खेल खेलाकरो और जब खेल तुम्हारी रोज की जरुरत बन जाए तब मेरे पास आना में तुमको वेदों के बारे में कुछ जानकारी दूंगा जितनी मेरे पास है।
बालक ने १५ दिन तक वैसा ही किया और फिर स्वामी जी के पास आया, स्वामी जी ने पूछा कैसे हो उसने बताया ठीक हूँ, जैसा आपने बोला था वैसा ही किया, तो स्वामी जी उससे बाते करने लगे, अचानक बालक बोला अच्छा में चलता हूँ मेरा खेलने का समय हो गया, फिर आऊँगा।
स्वामी जी ने बोला कल सुबह आ जाना कल से बात करते है वेदों पर, बालक चला गया और नियत समय पर आ गया, ६ महीने का अध्ययन के बाद उसको वेदों और उपनिषदों का ज्ञान प्राप्त हुआ, एक दिन उनस्ने स्वामी जी से पूछ ही लिया अपने आप आपने कैसे जान लिया की अब में पात्र हो गया हूँ।
स्वामी जी बोला जो व्यक्ति अपने खेल के प्रति निष्ठावान है लगन सील है, वही बाकी ज्ञान के लिए भी उपयुक्त होगा, क्योंकि संसार की प्रत्येक वस्तु आपकी लगन पर ही निर्भर है,जितनी आपकी लगन और निष्ठा है उतनी ही जल्दी आप लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे।
वक बार एक बालक स्वामी जी के पास गया और बोला मुझे वेदों का ज्ञान जानना है बताओ मैं करू, स्वामी जी ने कहा बहुत बढ़िया बात है, पर इसके लिए सबसे पहले रोज १ घण्टे खेल में मैदान में कोई खेल खेलाकरो और जब खेल तुम्हारी रोज की जरुरत बन जाए तब मेरे पास आना में तुमको वेदों के बारे में कुछ जानकारी दूंगा जितनी मेरे पास है।
बालक ने १५ दिन तक वैसा ही किया और फिर स्वामी जी के पास आया, स्वामी जी ने पूछा कैसे हो उसने बताया ठीक हूँ, जैसा आपने बोला था वैसा ही किया, तो स्वामी जी उससे बाते करने लगे, अचानक बालक बोला अच्छा में चलता हूँ मेरा खेलने का समय हो गया, फिर आऊँगा।
स्वामी जी ने बोला कल सुबह आ जाना कल से बात करते है वेदों पर, बालक चला गया और नियत समय पर आ गया, ६ महीने का अध्ययन के बाद उसको वेदों और उपनिषदों का ज्ञान प्राप्त हुआ, एक दिन उनस्ने स्वामी जी से पूछ ही लिया अपने आप आपने कैसे जान लिया की अब में पात्र हो गया हूँ।
स्वामी जी बोला जो व्यक्ति अपने खेल के प्रति निष्ठावान है लगन सील है, वही बाकी ज्ञान के लिए भी उपयुक्त होगा, क्योंकि संसार की प्रत्येक वस्तु आपकी लगन पर ही निर्भर है,जितनी आपकी लगन और निष्ठा है उतनी ही जल्दी आप लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे।
Subscribe to:
Posts (Atom)